Note: An original imaginary free-style poem. The Hindi-English alternation is quite interesting in my opinion.
(Untitled.)
(Untitled.)
बारिश की इन बूँदो ने जैसे ही मेरे होठों को छुआ
ऐसे लगा के आप छू रहे हो..
आख़िर आप भी बरस पड़े हो मेरी ज़िंदगी में
इसी बारिश की तरह...
And as I see the rains
flowing down the earth in streams
I see how you leave me drenched
Wet yet wanting for more...
इन्ही में बहा जा रहा हूँ मैं भी..
एक दीवानी सी आशा में..
की इंतज़ार कर रही है मेरा..
एक नदी कहीं दूर...
good one yaar
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